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चल रही हूं अनवरत बिना रुके, बिना थके मंजिल फिर भ

चल रही हूं अनवरत 
बिना रुके, बिना थके 
मंजिल फिर भी दूर है
रास्तों का पता नहीं 
अब थक रही हूं क्या करूं
लड़खड़ा रहे कदम मेरे
थाम लो तुम अगर 
जीत जाऊंगी मैं
श्याम हरपल हर क्षण 
गुन तेरे गाऊंगी मैं

जय लड्डू गोपाल

©Mamta Tripathi
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