चंद्रशेखर आजाद गुलाम भारत में जिंदा शेर वह एक ही आदमी दिखता था यौवन भरा जोशीला सीना आंखे जलती अंगारी ज्वाला फौलादी सीने पर जनेऊ पहने वह परशुराम सा लगता था पिस्तौल दिखाकर वो आजाद जब रण की हुकार लगता था पसीने छूट जाते थे फिरंगी के हर एक देशद्रोही घबराता था मरते मरते भी वो शेखर पाठ स्वाभिमान का पढ़ा गया अंतिम सांसों में जय हिंद बोल युगो युगो तक तिरंगे का मान बढ़ा गया कवि - प्रखर शर्मा संपर्क सूत्र - 8696854300 निवासी - बकानी झालावाड़ राजस्थान चंद्रशेखर आजाद