ज़िंदगी के धुँधले रास्तें भी चमकदार नज़र आने लगें है, रोज़ गिरकर भी राहों के तलबग़ार नज़र आने लगें है। ठहरों तो ज़रा ऐ! हवा पैग़ाम-ए-इश्क़ लेती जाना मेरा, कहना बिना गुनाह किए भी गुनहग़ार नज़र आने लगें है। आज़ के दौर में प्रेम एक तपस्या हो ये जरूरी तो नही , ज़िंदगी में कांटों से घिरकर भी गुलज़ार नज़र आने लगें है। तेरे जाने के बाद भी शोर दिल के कम नही हुए 'अंजान', ख़ाली ख़ाली से है फिर भी बाज़ार नज़र आने लगें है। #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #जन्मदिनकोराकाग़ज़ #kkप्रेमएकतपस्या #kkजन्मदिनमहाप्रतियोगिता #yqdidi #yqbaba #अंज़ान_प्रेम