Nojoto: Largest Storytelling Platform

यह तो है दुनिया का मेला यहाँ मिलना - बिछुड़ना चलत

यह तो है दुनिया का मेला 
यहाँ मिलना - बिछुड़ना चलता ही रहता है ।
जैसे झूले का कभी आगे तो कभी पीछे जाना होता है ॥ 
इसी आशा के संगम में आवागमन की लहरों का आना - जाना चलता रहता है ।
यहाँ कोई शब्दों की तनहाई में तो कोई अंधेरे की चादर ओढ़े जीवन जीता है ॥ 
पेड़ से पत्तों का टुटना , नई कोंपल का आना... 
यही तो कुदरत का नियम है ॥ 
तेरा आना... आके बीछड़ जाना 
यह अधुरी प्यास का रह जाना... 
यही कुदरत का नियम है ।
कलीयां बन पुष्प अवतरित हो जाना.... 
फिर पंखुड़ियों में उसका गुम हो जाना ॥ 
यहाँ बनना बिगड़ना कुदरत को लगता है अच्छा ।

©Motivational indar jeet guru #यह तो है दुनिया का मेला 
यहाँ मिलना - बिछुड़ना चलता ही रहता है ।
जैसे झूले का कभी आगे तो कभी पीछे जाना होता है ॥ 
इसी आशा के संगम में आवागमन की लहरों का आना - जाना चलता रहता है ।
यहाँ कोई शब्दों की तनहाई में तो कोई अंधेरे की चादर ओढ़े जीवन जीता है ॥ 
पेड़ से पत्तों का टुटना , नई कोंपल का आना... 
यही तो कुदरत का नियम है ॥ 
तेरा आना... आके बीछड़ जाना
यह तो है दुनिया का मेला 
यहाँ मिलना - बिछुड़ना चलता ही रहता है ।
जैसे झूले का कभी आगे तो कभी पीछे जाना होता है ॥ 
इसी आशा के संगम में आवागमन की लहरों का आना - जाना चलता रहता है ।
यहाँ कोई शब्दों की तनहाई में तो कोई अंधेरे की चादर ओढ़े जीवन जीता है ॥ 
पेड़ से पत्तों का टुटना , नई कोंपल का आना... 
यही तो कुदरत का नियम है ॥ 
तेरा आना... आके बीछड़ जाना 
यह अधुरी प्यास का रह जाना... 
यही कुदरत का नियम है ।
कलीयां बन पुष्प अवतरित हो जाना.... 
फिर पंखुड़ियों में उसका गुम हो जाना ॥ 
यहाँ बनना बिगड़ना कुदरत को लगता है अच्छा ।

©Motivational indar jeet guru #यह तो है दुनिया का मेला 
यहाँ मिलना - बिछुड़ना चलता ही रहता है ।
जैसे झूले का कभी आगे तो कभी पीछे जाना होता है ॥ 
इसी आशा के संगम में आवागमन की लहरों का आना - जाना चलता रहता है ।
यहाँ कोई शब्दों की तनहाई में तो कोई अंधेरे की चादर ओढ़े जीवन जीता है ॥ 
पेड़ से पत्तों का टुटना , नई कोंपल का आना... 
यही तो कुदरत का नियम है ॥ 
तेरा आना... आके बीछड़ जाना

#यह तो है दुनिया का मेला यहाँ मिलना - बिछुड़ना चलता ही रहता है । जैसे झूले का कभी आगे तो कभी पीछे जाना होता है ॥ इसी आशा के संगम में आवागमन की लहरों का आना - जाना चलता रहता है । यहाँ कोई शब्दों की तनहाई में तो कोई अंधेरे की चादर ओढ़े जीवन जीता है ॥ पेड़ से पत्तों का टुटना , नई कोंपल का आना... यही तो कुदरत का नियम है ॥ तेरा आना... आके बीछड़ जाना #ज़िन्दगी