#यह तो है दुनिया का मेला
यहाँ मिलना - बिछुड़ना चलता ही रहता है ।
जैसे झूले का कभी आगे तो कभी पीछे जाना होता है ॥
इसी आशा के संगम में आवागमन की लहरों का आना - जाना चलता रहता है ।
यहाँ कोई शब्दों की तनहाई में तो कोई अंधेरे की चादर ओढ़े जीवन जीता है ॥
पेड़ से पत्तों का टुटना , नई कोंपल का आना...
यही तो कुदरत का नियम है ॥
तेरा आना... आके बीछड़ जाना #ज़िन्दगी