बद्री पांडे ने राजू चमार से दोस्ती करनी चाही तो राजू ने कहा - हम तुम कितने भिन्न है प्यारे, अलग अलग घर द्वार रे हम दोनों के अलग ही बबुआ, धर्म जात परिवार रे हम रहते झुग्गी बस्ती में, तुम्हरा है दरबार रे तुम पढ़ते कालेज में बबुआ, हम तो भए गवार रे हम तो हंटर खाते प्यारे, तुम्हरा हों सत्कार रे तुम्हरे घर तो भये उजाले, हमरा घर अंधकार रे हम तो पाथर जइसन प्यारे, तुम तो हों सुकुमार रे हम तो खाये रूखी सूखी, तुम छप्पन प्रकार रे तुम ठहरे बाभन के बेटे, हम तो भये चमार रे तुम हों प्यारे प्रेम पिता का, हम तो है धिक्कार रे हम तो साहब दास तुम्हारे, दो आदेश हजार रे पर विनती तुम सुन लो प्यारे, करो न ये उद्धार रे बोझ तले तेरे दब जाएंगे,होके हम लाचार रे देने को इक ढेला न है, बदले में उपहार रे हमरे तुम क्या मित्र बनोगे, हम तो है बेकार रे हम माटी तुम कुंदन प्यारे,करो न तुम उपकार रे तब बद्री पांडे ने क्या कहा सुनियेगा - तुम जो मेरे मित्र बने तो,अंतर ये मिट जाएगा अमर दोस्ती रहे हमारी, गीत जहाँ ये जाएगा फर्क करेगा जो दोनों में, राम कसम पीट जायेगा संग तेरे सूखी रोटी, बाभन का बेटा खायेगा मित्र नहीं घबराना तुम हम तुमको ना ठुकराएंगे स्वार्थ नहीं ये प्रेम है मेरा तुमको गले लगाएंगे मानवता सीखलाने प्यारे, जगत से हम टकराएंगे भेदभाव को इस माटी से, मिलकर हम मिटाएंगे भेदभाव को इस माटी से, मिलकर हम मिटाएंगे ©Priya Kumari Niharika बद्री पांडे ने राजू चमार से दोस्ती करनी चाही तो राजू ने कहा - हम तुम कितने भिन्न है प्यारे, अलग अलग घर द्वार रे हम दोनों के अलग ही बबुआ, धर्म जात परिवार रे हम रहते झुग्गी बस्ती में, तुम्हरा है दरबार रे तुम पढ़ते कालेज में बबुआ, हम तो भए गवार रे हम तो हंटर खाते प्यारे, तुम्हरा हों सत्कार रे