Nojoto: Largest Storytelling Platform

जब भी बैठता हूं मैं सोचने, झांकने लगता हूं अंतर्मन

जब भी बैठता हूं मैं सोचने,
झांकने लगता हूं अंतर्मन के गलियारों में।
हर जगह मां ही मां आती है नजर,
बहुत ही गहराई तक बसी हुई है विचारों में।।

©Sneh Prem Chand गलियारों मे

#Hopeless
जब भी बैठता हूं मैं सोचने,
झांकने लगता हूं अंतर्मन के गलियारों में।
हर जगह मां ही मां आती है नजर,
बहुत ही गहराई तक बसी हुई है विचारों में।।

©Sneh Prem Chand गलियारों मे

#Hopeless