जब भी बैठता हूं मैं सोचने, झांकने लगता हूं अंतर्मन के गलियारों में। हर जगह मां ही मां आती है नजर, बहुत ही गहराई तक बसी हुई है विचारों में।। ©Sneh Prem Chand गलियारों मे #Hopeless