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सुनो ईश्वर! तुम तो निरा अकिंचन हो, तुम्हारे पास ना

सुनो ईश्वर!
तुम तो निरा अकिंचन हो,
तुम्हारे पास ना सुख है ना दुख
और ना ही रोने का कोई कारण,
फिर भला किस कारण तुमने सृजित किया रुद्राक्ष!
ना तुममें जीने की अभिलाषा
ना मृत्यु का भय,
फिर भला किस कारण तुमने ढूंढ लिया शमशान!
सुनो ईश्वर!
ना तुममें जीतने की चाह है,
और ना ही हारने का भय,
रंग रूप से परे,
कितना भव्य है तुम्हारा निराकार स्वरूप,
फिर भला क्यों तुमने रचा चंद्रेश्वर होने का स्वांग!

©Neha singh #aslineha #nehasingh #neha  #yqdidi #yq #thought_of_the_day #poem #God #hindi_poetry
सुनो ईश्वर!
तुम तो निरा अकिंचन हो,
तुम्हारे पास ना सुख है ना दुख
और ना ही रोने का कोई कारण,
फिर भला किस कारण तुमने सृजित किया रुद्राक्ष!
ना तुममें जीने की अभिलाषा
ना मृत्यु का भय,
फिर भला किस कारण तुमने ढूंढ लिया शमशान!
सुनो ईश्वर!
ना तुममें जीतने की चाह है,
और ना ही हारने का भय,
रंग रूप से परे,
कितना भव्य है तुम्हारा निराकार स्वरूप,
फिर भला क्यों तुमने रचा चंद्रेश्वर होने का स्वांग!

©Neha singh #aslineha #nehasingh #neha  #yqdidi #yq #thought_of_the_day #poem #God #hindi_poetry
nehapatel5953

Neha singh

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