जर्रा जर्रा बिकती है आज सबकी ज़िंदगी पानी तो मिलता था पैसों में कभी, आज सांसे भी बिकने लगी चंद पैसों के लिए, टुकड़ा टुकड़ा मिल रही सांसे, अब सांसे भी पैसों की मोहताज हुई त्राहि त्राहि हो रही है, हर तरफ ऐ खुदा मौत आज किसी ऊंचे रुतबे की गुलाम नहीं कतरा कतरा जी रही, राहों पर जिंदगी सुबक सुबक कर रो रही है, घर की खुशियां सभी खुदा के ऊपर उंगली उठाने वालो आज तेरा बंदगी करना मजबूरी हो गई गर याद तू पहले ही कर लेता खुदा को आज ये नौबत ही न आई होती अब भी संभल जा ज्यादा कुछ बिगड़ा नहीं है खुदा की रहमत को याद रख और उसका दिल से एहतराम कर। कर दे इसे खूबसूरत पहले की तरह ही। ©Savita Nimesh सांसे अब बिकने लगी... #warrior