कारवां गुज़र गया गुबार देखते रहे, मुसीबते ना थम सकी उबार देखते रहे। दब गयी है ज़िन्दगी इन नफरतो की भीड़ में, हम दोस्ती की उम्मीद में बस प्यार देखते रहे। मृत्यु, नाश, रंज, खेल हज़ार देखते रहे, कुछ दिलजलों की पीर यूँ अपार देखते रहे, आग ही आग है इस खोखले से विश्व में, हम रोशनी की उम्मीद में अंगार देखते रहे। वक़्त तो चला गया इंतेज़ार देखते रहे, बेवजह की बात हुई नागवार देखते रहे, पंक्तियों से हट के खुद को पाने चला था वो, उसका कारवां गुज़र गया गुबार देखते रहे। आज प्रख्यात कवि श्री गोपाल दास नीरज के निधन की खबर सुनके बड़ा दुख हुआ। हमारे शहर कानपुर से उनका बहुत गहरा नाता था। यही पढ़े , लिखे, नौकरी किये है वो। श्रद्दांजलि के तौर पे उनकी इस कविता को अपने कुछ शब्द दिए है मेने। पढ़ के बताइयेगा कैसी है? #देखतेरहे #yqdidi #yqbhaijaan #yqbaba #poetry #life #motivation #thoughts