जब हम बच्चे थे कितने अच्छे थे रंग बिरंगे कपड़ो में कितने जचते थे दिल साफ़ था नियत में न था खोट ख़ुश हो जाते थे दस का देख कर नोट पर अब सब कुछ बदल गया है दिल तो अब भी बच्चा है पर कहना मुश्किल है कि कितना सच्चा है अब भी रंग बिरंगे कपडे पहनते है पर सिर्फ कुछ में ही जचते है दिल का तो बता नहीं पर नियत किसी भी साफ़ नहीं है और दस तो क्या करोड़ो में भी बुझती प्यास नहीं है kitna acha tha na bachpan