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तुम कभी कागज़ और रंगों के आगे कुछ देख ही नहीं पाए,

तुम कभी कागज़ और रंगों के आगे कुछ देख ही नहीं पाए,
चुप रहे जब अपने ईमान में, लोगो को कमज़ोर नज़र आए|

पर मन के जलने पे धुंआ भी होता है, सिर्फ ख़ाक  नहीं,
ऐसे में कलम उठाना लाज़मी होता है, सिर्फ शौक़ नहीं|




- प्रतियोगिता सिंह

© #Dark
तुम कभी कागज़ और रंगों के आगे कुछ देख ही नहीं पाए,
चुप रहे जब अपने ईमान में, लोगो को कमज़ोर नज़र आए|

पर मन के जलने पे धुंआ भी होता है, सिर्फ ख़ाक  नहीं,
ऐसे में कलम उठाना लाज़मी होता है, सिर्फ शौक़ नहीं|




- प्रतियोगिता सिंह

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