आजकल सब पूछने लगे है तुम इतनी मुस्कुराती क्यों हो मज़ाकिया तो तुम थी नहीं पर कोई मुखोटे के पीछे , छुपा हुआ चेहरा देख नही पाता है चांद तो अपनी जगह पर है बादल उसे इस कदर घेर लेते है की हमे कभी आधा, कभी पूरा दिखाई पड़ता है तो क्या उन्हें मेरी चूड़ियों में हथकड़ी और पायल में बेड़ियां नजर नही आती आंखों में अपार पीड़ा का समंदर नजर नही आता नजरे कमज़ोर हो रही शायद या वो देख कर अनजान बनते है पर में तो देख रही हुँ सपनो की इमारतों को टूटते हुए अरमानो, आंकाक्षाओ , खुशियों को गहरे समंदर में डूबते हुए कवि हृदय मेरा क्या कहना चाहता है तुम्हे शायद नजर ना आये आख़िर दिल की गहराई को समझना हर किसी के बस की बात भी तो नही पर मेरी मौत के बाद के बाद मेरी किताबें जरूर टटोलना सुना है मौत के बाद कीमत दुगनी हो जाती है और जो देख नही पाये थे उसे देखने की कोशिश करना फिर पूछना अपने आप से की वो इतनी मुस्कुराती क्यों थी (आयुषी भंडारी) । तुम इतना मुसकुराती क्यू हो #alonegirl