Nojoto: Largest Storytelling Platform

मुल्क हैं अपना दिल्ली भी है अपनी फिर क्यों टोका जा

मुल्क हैं अपना दिल्ली भी है अपनी फिर क्यों टोका जाता है
लाखो सैनिक की घेरा बंदी
फिर क्यो हमे रोका जाता है
वासी हैं हम इस देश
मिट्टी से हम तिलक लगाते हैं
भूखे हैं बच्चे हमारे
कुछ लोग कह कहे लगाते हैं
वर्षो बीत गए घर की चौखट छोड़ेखेत खलिहान बंजर पड़े हैं
वो तख्त पे बैठे हैं मुंह को मोडे
क्या यही लोकतन्त्र है 
या फिर जनतंत्र का अपमान है
द्वेष भाव रखने वालो तुम ही बताओ
क्या अब भी हमारा देश महान है

©Md Khan Pathan ,# indian public

कविता
मुल्क हैं अपना दिल्ली भी है अपनी फिर क्यों टोका जाता है
लाखो सैनिक की घेरा बंदी
फिर क्यो हमे रोका जाता है
वासी हैं हम इस देश
मिट्टी से हम तिलक लगाते हैं
भूखे हैं बच्चे हमारे
कुछ लोग कह कहे लगाते हैं
वर्षो बीत गए घर की चौखट छोड़ेखेत खलिहान बंजर पड़े हैं
वो तख्त पे बैठे हैं मुंह को मोडे
क्या यही लोकतन्त्र है 
या फिर जनतंत्र का अपमान है
द्वेष भाव रखने वालो तुम ही बताओ
क्या अब भी हमारा देश महान है

©Md Khan Pathan ,# indian public

कविता