सारी उम्र हम उधार की जिन्दगी जीते है अपनी पहचान भूल गये है हम अपने आप को जिस दिन पहचान जायेगे उस दिन हम अपने आप के हो जायेगे अपने आप को ही तो पाना है हम वो नहीं करते जो हम करना चाहते है वो करते है जो दूसरों को अच्छा लगता है हमारी खव्याशि हमारी चाहते तो उस कैद पछीं की तरह है जो उड़ना तो चाहता हैं पर उड़ नहीं पाता -----------NJ Pehchan