सोचो न क्या गजब हो जाये , इंसानियत ही गर सबका एक मजहब हो जाये ..... किसी के दिल की आवाज गर दूसरे के दिल तक पहुंचने लगे , सारी कायनात में अगरबत्ती सी खुशबू महकने लगे . .... किसी गरीब बच्चे का तुम्हारे ज़रिये गर स्कूल हो जाये , तुम्हारी हर चाहत तुरंत कबूल हो जाये .... हर प्राणी की भूख महसूस कर गर सबको एक निवाला हो जाये , इंसानियत का मजहब कितना आला हो जाये ......... Insaniyat