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गुड़िया कुछ बातें क

                               गुड़िया

कुछ बातें कहनी थी कह नही पाई 
मानवता बसती है इंसानों मे वही देख नही पाई
सुना था 
सुरो की सरगम है जीवन 
वही सरगम गुनगुना नही पाई।

शशि की शीतलता थी मेरी देह मे 
ज़माने की उष्णता कम कर नही पाई 
हर बार दरिया सी बहती रही 
कभी सर की तरह ठहर नही पाई ।

उड़ना था आसमाँ मे कनकैया की तरह
ना टुटे कभी वो मांझा बन नही पाई 
दुल्हन की तरह विदा होनी थी 
जनक के कंधो पर अश्रुधारा बहा नहीं पाई।

मेरी रूहानियत को झनझोड़ा गया इस कदर
आंखों की चमक मे नमी छिपा नही पाई 
चिडीया की तरह चहकना था 
बस चहकाना था ,
चिल्ला कर भी कुछ बोल नही पाई ।

कब तक हौंसला रखती वो ""गुडिया""
खिलौने सा टूट कर बिखर गई ।


 #yqbaba#yqdidi#girl#rape#gudiya#protectgirl#myfavourite
                               गुड़िया

कुछ बातें कहनी थी कह नही पाई 
मानवता बसती है इंसानों मे वही देख नही पाई
सुना था 
सुरो की सरगम है जीवन 
वही सरगम गुनगुना नही पाई।

शशि की शीतलता थी मेरी देह मे 
ज़माने की उष्णता कम कर नही पाई 
हर बार दरिया सी बहती रही 
कभी सर की तरह ठहर नही पाई ।

उड़ना था आसमाँ मे कनकैया की तरह
ना टुटे कभी वो मांझा बन नही पाई 
दुल्हन की तरह विदा होनी थी 
जनक के कंधो पर अश्रुधारा बहा नहीं पाई।

मेरी रूहानियत को झनझोड़ा गया इस कदर
आंखों की चमक मे नमी छिपा नही पाई 
चिडीया की तरह चहकना था 
बस चहकाना था ,
चिल्ला कर भी कुछ बोल नही पाई ।

कब तक हौंसला रखती वो ""गुडिया""
खिलौने सा टूट कर बिखर गई ।


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