Nojoto: Largest Storytelling Platform

जब देखा था पहली नज़र में तो चेहरे से पर्दानसी सी थी

जब देखा था पहली नज़र में तो चेहरे से पर्दानसी सी थीं वोे,
फिर भी आंखों से बहुत हसीं सी थीं वो।
आमने सामने थे हम पर, जुबां न कुछ कह रही थी
बस आँखों आँखों में ही तो हमारी बातें हो रही थी।
कुछ देर बाद उसने चेहरे से जब पर्दा हटाया था
तो लगा कुछ मुझें ऐसे जैसे ,बदलियों से चाँद मुझें नजर आया था।
चुप्पी को तोड़ते हुए जब उसने बोलना शुरू किया तो,लगा जैसे किसी पेड़ से अचानक फूलों की बारिश हो रही हो ,कभी मुस्कुराती तो कभी अपने आप को केमरे में कैद करती सी वो ,बेबाक़ सी मेरे सामने बैठी थी।
नाक पर तिल ,रंग गोरा ,और चेहरे पर मुस्कान थी ,देखकर लगा ही न था कि जैसे मुझसे वो अंजान थी।भीड़ में भी 
सबसे अलग सी थी वो , बातों से लगा जैसे फूलों की महक सी थी वो। 
न नाम पता न काम पता मुझें उसका,फिर भी वो एक याद बन गयी ,
वो अजनबी हसीना मेरे सफऱ का जैसे साथ बन गयी।
पर मंजिल सबकी एक नहीं होती इस बात का इल्म हैं मुझें,तो अपने हिस्से की मंज़िल पूरी कर आया था मैं ,
शायद तब उसकी मंजिल दूर थीं तो ,उसे उसके सफ़र में बस वही छोड़ आया था मैं। ये जरूरी तो नहीं न कि ,हर साथ मे सफर करने वाला हमसफ़र बन जायें, कि ये भी तो जरूरी नहीं न कि,जो तुम्हें पसन्द हो वो उसकी भी पसंद बन जायें।
                                                                    ~ रवि ##wo ajnabi haseena.
जब देखा था पहली नज़र में तो चेहरे से पर्दानसी सी थीं वोे,
फिर भी आंखों से बहुत हसीं सी थीं वो।
आमने सामने थे हम पर, जुबां न कुछ कह रही थी
बस आँखों आँखों में ही तो हमारी बातें हो रही थी।
कुछ देर बाद उसने चेहरे से जब पर्दा हटाया था
तो लगा कुछ मुझें ऐसे जैसे ,बदलियों से चाँद मुझें नजर आया था।
चुप्पी को तोड़ते हुए जब उसने बोलना शुरू किया तो,लगा जैसे किसी पेड़ से अचानक फूलों की बारिश हो रही हो ,कभी मुस्कुराती तो कभी अपने आप को केमरे में कैद करती सी वो ,बेबाक़ सी मेरे सामने बैठी थी।
नाक पर तिल ,रंग गोरा ,और चेहरे पर मुस्कान थी ,देखकर लगा ही न था कि जैसे मुझसे वो अंजान थी।भीड़ में भी 
सबसे अलग सी थी वो , बातों से लगा जैसे फूलों की महक सी थी वो। 
न नाम पता न काम पता मुझें उसका,फिर भी वो एक याद बन गयी ,
वो अजनबी हसीना मेरे सफऱ का जैसे साथ बन गयी।
पर मंजिल सबकी एक नहीं होती इस बात का इल्म हैं मुझें,तो अपने हिस्से की मंज़िल पूरी कर आया था मैं ,
शायद तब उसकी मंजिल दूर थीं तो ,उसे उसके सफ़र में बस वही छोड़ आया था मैं। ये जरूरी तो नहीं न कि ,हर साथ मे सफर करने वाला हमसफ़र बन जायें, कि ये भी तो जरूरी नहीं न कि,जो तुम्हें पसन्द हो वो उसकी भी पसंद बन जायें।
                                                                    ~ रवि ##wo ajnabi haseena.
bebaak1062314093323

~Ravi

Bronze Star
New Creator