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धूप हो, बारिश हो, ठंड हो, कोहरा पड़ता है, घरवालों

धूप हो, बारिश हो, ठंड हो, कोहरा पड़ता है,
 घरवालों के खातिर उसे घर से जाना पड़ता है।

खाल जले, सर तपे, सब सह जाना पड़ता है,
 रुखा हो, सूखा हो, जैसा भी मिले, उसे खाना पड़ता है।
रात भर बिस्तर की चाहत में,
 बिछा अखबार फुटपाथ पर सो जाना पड़ता है।

गली-गली चिल्लाता है,
 कुछ बिकता, कुछ रह जाता है,
 फिर कहीं थक कर छांव में बैठ जाता है,
 फिर वही ख्याल जहन में कुलबुलाता है,

टपकती छत, भूखे बच्चे, उसे घर बुलाता है,
 यही ख्याल उसे फिर उठाता है,
 गली-गली चिल्लाता है,
 फिर हड्डियां थकाता है,

सांझ को पोटली में आंस लिए घर आता है,
सबको खिला के सुलाता है,
फिर खुद भी थक कर पानी पी के सो जाता है।

यूं हि कोई बाप नहीं बन जाता है...

©Gumnaam #baap 
#Family #gumnaam 
#yyadeeee
धूप हो, बारिश हो, ठंड हो, कोहरा पड़ता है,
 घरवालों के खातिर उसे घर से जाना पड़ता है।

खाल जले, सर तपे, सब सह जाना पड़ता है,
 रुखा हो, सूखा हो, जैसा भी मिले, उसे खाना पड़ता है।
रात भर बिस्तर की चाहत में,
 बिछा अखबार फुटपाथ पर सो जाना पड़ता है।

गली-गली चिल्लाता है,
 कुछ बिकता, कुछ रह जाता है,
 फिर कहीं थक कर छांव में बैठ जाता है,
 फिर वही ख्याल जहन में कुलबुलाता है,

टपकती छत, भूखे बच्चे, उसे घर बुलाता है,
 यही ख्याल उसे फिर उठाता है,
 गली-गली चिल्लाता है,
 फिर हड्डियां थकाता है,

सांझ को पोटली में आंस लिए घर आता है,
सबको खिला के सुलाता है,
फिर खुद भी थक कर पानी पी के सो जाता है।

यूं हि कोई बाप नहीं बन जाता है...

©Gumnaam #baap 
#Family #gumnaam 
#yyadeeee
gumnaam2486

Gumnaam

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