Unsplash रो लेता हूँ यूँ रफ़्ता-रफ़्ता, पर दिल से आह तक नहीं आती। प्यार तो बेइंतिहा करता हूँ, मगर क़दर तुम्हें नज़र नहीं आती। ना जाने ये कैसी खता है मेरी, जो हर बार माफ़ी भी काम नहीं आती। चाहता हूँ दिल से तुझे हर लम्हा, फिर भी दूरी क्यों मिट नहीं पाती? ©pareek boy #traveling खतरनाक लव स्टोरी शायरी