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समृद्ध हो जो आकाश जैसा, गांभीर्य सागर सा लिए ,

समृद्ध  हो जो आकाश जैसा,
गांभीर्य  सागर  सा लिए ,
आदि है जिसका ना अंत जानो,
एक जान मे दो तन लिए।

इक प्रेम था  अथाह मीरा का,
नित प्रेमवश अश्रु बहाती जाती,
ना लोभ तुमको पाने का मोहन, ना शोक  सांसारिक प्रलय का 
हारी नाम संग ले जीती जाती।

रही राधा सी भागी ना कोई,
बन श्याम की रासुका  पधारी ,
हों भिन्न भले मोह जगत में दोनों,
प्रतिमान प्रेम के यद्यपि कहलाते सदा ही श्यामा बिहारी।

प्रेम नहीं पाने की परिभाषा,
प्रेम नहीं मोहपाश का बंधन,
दिव्यता मे सच्चा रूप है प्रेम का,
अभिन्न रहें जब किसी नाम से तन-मन।
 
मीरा रोये साँवरे साँवरे
राधा खोजे ब्रिज मे श्याम
निरंकारी भावों में गोते खाती
रटे रसिक बिहारी एक ही नाम।

©Dr. Poonam #DivineLoveBliss
समृद्ध  हो जो आकाश जैसा,
गांभीर्य  सागर  सा लिए ,
आदि है जिसका ना अंत जानो,
एक जान मे दो तन लिए।

इक प्रेम था  अथाह मीरा का,
नित प्रेमवश अश्रु बहाती जाती,
ना लोभ तुमको पाने का मोहन, ना शोक  सांसारिक प्रलय का 
हारी नाम संग ले जीती जाती।

रही राधा सी भागी ना कोई,
बन श्याम की रासुका  पधारी ,
हों भिन्न भले मोह जगत में दोनों,
प्रतिमान प्रेम के यद्यपि कहलाते सदा ही श्यामा बिहारी।

प्रेम नहीं पाने की परिभाषा,
प्रेम नहीं मोहपाश का बंधन,
दिव्यता मे सच्चा रूप है प्रेम का,
अभिन्न रहें जब किसी नाम से तन-मन।
 
मीरा रोये साँवरे साँवरे
राधा खोजे ब्रिज मे श्याम
निरंकारी भावों में गोते खाती
रटे रसिक बिहारी एक ही नाम।

©Dr. Poonam #DivineLoveBliss
drpoonam7100

Dr. Poonam

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