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तहज़ीब के पर्दे में अब क्या-क्या छुपाओगे, यूँ सूरज

तहज़ीब के पर्दे में अब क्या-क्या छुपाओगे,
यूँ सूरज को अंधेरों से कब तक डराओगे?

आइना कितना भी धुंधला हो अक़्स पूरा उभरता है,
सच उतना ही निखरेगा जितना आज़माओगे।

बारहा कांप जाता हूँ रिश्तों का ये अंजाम देखकर,
जो ख़ुद से नहीं निभती फिर किससे निभाओगे?

हो गये हो दूर सबसे जाने किस गुमां में तुम,
जब वक़्त परखेगा तुम्हे तुम किसको बुलाओगे? #अभिशप्त_वरदान #तहज़ीब
तहज़ीब के पर्दे में अब क्या-क्या छुपाओगे,
यूँ सूरज को अंधेरों से कब तक डराओगे?

आइना कितना भी धुंधला हो अक़्स पूरा उभरता है,
सच उतना ही निखरेगा जितना आज़माओगे।

बारहा कांप जाता हूँ रिश्तों का ये अंजाम देखकर,
जो ख़ुद से नहीं निभती फिर किससे निभाओगे?

हो गये हो दूर सबसे जाने किस गुमां में तुम,
जब वक़्त परखेगा तुम्हे तुम किसको बुलाओगे? #अभिशप्त_वरदान #तहज़ीब