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16. विसर्जन कुसंगति का त्याग, असत्यों का त्याग,

16. विसर्जन

 कुसंगति का त्याग, असत्यों का त्याग, 
उल्टी धारा की ख्याबी  दुनिया का त्याग, 
त्याग करना या होना, 
त्याग ह्रदय से, वही त्याग.
बुरी स्मृतियों से विचलित मन, 
हो असहज हर क्षण, 
कुछ पल शांत खुद के साथ, 
कुटिल स्मृतियां विसर्जित हो स्वयं.
रातें कठिन हो, सुबह उनींदी, 
दिन आलस्य से भरा, 
करो शारीरिक -मानसिक आचार, 
दुर्गति विसर्जित हो स्वयं.

©Ankit verma utkarsh❤ collection:- ठंडी धूप
sixteenth poetry 
#teddyday  PUSHPA Mohammad ABID goluchaudhari Krishna Choudhury Amit  Shaurabh
16. विसर्जन

 कुसंगति का त्याग, असत्यों का त्याग, 
उल्टी धारा की ख्याबी  दुनिया का त्याग, 
त्याग करना या होना, 
त्याग ह्रदय से, वही त्याग.
बुरी स्मृतियों से विचलित मन, 
हो असहज हर क्षण, 
कुछ पल शांत खुद के साथ, 
कुटिल स्मृतियां विसर्जित हो स्वयं.
रातें कठिन हो, सुबह उनींदी, 
दिन आलस्य से भरा, 
करो शारीरिक -मानसिक आचार, 
दुर्गति विसर्जित हो स्वयं.

©Ankit verma utkarsh❤ collection:- ठंडी धूप
sixteenth poetry 
#teddyday  PUSHPA Mohammad ABID goluchaudhari Krishna Choudhury Amit  Shaurabh