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मुद्दतों से की आरज़ू आज साकार हुई है, बाअदब, मेरे श

मुद्दतों से की आरज़ू आज साकार हुई है,
बाअदब, मेरे शहर में मेरी सरकार हुई है।

बन प्रजापाल, मैं प्रजाहित कर्तव्य करूँ,
ओझल सी ख़्वाईश आज आकार हुई है।

मैं, मेरा मत, मेरा वजूद कैद था जिसमें,
अब जाके वो मृत कुटिया दरबार हुई है।

सब खरीद सकते हैं अपना अधिकार जहां,
मुद्दतों बाद, शहर में खुली बज़ार हुई है।

अब जंगल नहीं, हर तरफ उपवन होंगे 'डिअर',
हर चिड़िया अपने घोंसले की हकदार हुई है। #dearsdare  #yqmuddat  #yqdidi
मुद्दतों से की आरज़ू आज साकार हुई है,
बाअदब, मेरे शहर में मेरी सरकार हुई है।

बन प्रजापाल, मैं प्रजाहित कर्तव्य करूँ,
ओझल सी ख़्वाईश आज आकार हुई है।

मैं, मेरा मत, मेरा वजूद कैद था जिसमें,
अब जाके वो मृत कुटिया दरबार हुई है।

सब खरीद सकते हैं अपना अधिकार जहां,
मुद्दतों बाद, शहर में खुली बज़ार हुई है।

अब जंगल नहीं, हर तरफ उपवन होंगे 'डिअर',
हर चिड़िया अपने घोंसले की हकदार हुई है। #dearsdare  #yqmuddat  #yqdidi