पिता!तुम बिन आसानी भी मुश्किल है उधेड़बुन में ही पड़ा रहता दिल है तुम बिन संजीदा एहसास भी तमाशा है जानदार से जानदार सोच भी बिस्मिल है बिस्मिल =घायल # पिता! तुम बिन