दिखावे के रिश्ते देखते देखते थक गई, मुझे लगता है में इन झुटे रिश्तों से पक गई। कोई दर्द में सहता है, तभी तो उसके नेनों से अश्रु धार बन कर कहता है। सच को हमेशा चुप कराया जाता है, झूटो को आज कल हर घर में बुलाया जाता है। कोई ये नहीं सुनता कि वो मुसाफिर वक़्त कि मार का मारा हैं,सब को यही लगता कि ये अंदर तक हारा हैं। दूसरो को बदनाम करने के इरादे ना करो बेवकूफों, कभी तो अपनी गिरेबान में देखो। वक़्त बदल जाएगा, हर उंगली उठाने वाला इक दिन मुंह कि खाएगा। _ज्योति गुर्जर #अश्रु