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बात क्या करनी..एक गज़ल करोना है क़हर_ तो भी क़हर

बात क्या करनी..एक गज़ल

करोना है क़हर_ तो भी क़हर की बात क्या करनी,
हवाओं में घुला है जो__ज़हर की बात क्या करनी।

भरोसा है हमें___ ये कल हमारा__ खुशनुमा होगा,
अभी बीमार हैं__ शामों सहर की बात क्या करनी।

शम्स–ए–मुस्तकबिल से है__ जब उम्मीद ए रोशनी,
तीरगी से भरे___ पिछले पहर की बात क्या करनी।

लौट कर आने को__ बेताब हैं अब___ रौनकें सारी,
वो सूने गांव__ वो तन्हा शहर की बात क्या करनी।

खौफ देकर__ हमारे हौसलों को_ पस्त करते हो ??
जो आई ही नहीं तो उस लहर की बात क्या करनी।

©Mahesh Verma #CoronaAwareness #vermaji 

#stay_home_stay_safe
बात क्या करनी..एक गज़ल

करोना है क़हर_ तो भी क़हर की बात क्या करनी,
हवाओं में घुला है जो__ज़हर की बात क्या करनी।

भरोसा है हमें___ ये कल हमारा__ खुशनुमा होगा,
अभी बीमार हैं__ शामों सहर की बात क्या करनी।

शम्स–ए–मुस्तकबिल से है__ जब उम्मीद ए रोशनी,
तीरगी से भरे___ पिछले पहर की बात क्या करनी।

लौट कर आने को__ बेताब हैं अब___ रौनकें सारी,
वो सूने गांव__ वो तन्हा शहर की बात क्या करनी।

खौफ देकर__ हमारे हौसलों को_ पस्त करते हो ??
जो आई ही नहीं तो उस लहर की बात क्या करनी।

©Mahesh Verma #CoronaAwareness #vermaji 

#stay_home_stay_safe