अब तलक़ तो चिराग़ तले अंधेरा ही रहा। आरक्षण,भ्रष्टाचार का विष पीए जा रहा हूँ। जबसे चलना सीखा मैं चलते जा रहा हूँ। मध्यम वर्गीय परिवार में पलते आ रहा हूँ। ज़रूरत है मुझे ख़्वाहिश को मक़ाम देने की। मैं दीये सा उसी चाहत में जलते जा रहा हूँ। 🎀 Challenge-229 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। 50 शब्दों में अपनी रचना लिखिए।