बेफिक्र की वो जिंदगी वो ग्रहस्थी नही रही मेरा वो रुतबा अब वो हस्ती नही रही मां बाप क्या गुजरे जिंदगी यतीम हो गई अब प्यार का वो आंचल वो सरपरस्ती नही रही मारुफ आलम सरपरस्ती नही रही/शायरी