किसने आवाज़ दी कैसा ये शोर है चारों तरफ फैला कैसा ये धुँध का गुबार है धूल है;कोहरा है या फिर प्रदूषण का जाल है गूँज रही जिसमें घुटती साँसों की आवाज़ है घायल-सी ऑक्सीजन कराह छटपटा रही है चारों तरफ ज़हरीली गैसें बुन रहीं मायाजाल है बाग-बगीचे पेड़-पौधे खेत-खलिहान निर्जीव हैं लगता है पैर पसार रहा आसपास 'बुद्धिजीव' है बुद्धि के बल पर पीठ थपथपाई जिसने अपनी है जिस पर विज्ञान ने अब तान दी दोनाली बंदूक है इंतजार है कब हटेगी बंदूक ये तभी छँटनी यह धुँध है तब तक फैला ये शोर है जो जीवन का अंतिम छोर है...! मुनेश शर्मा(मेरी✍️)🌈🌈🌈 ऐसा लगता है, ये धुंध नहीं किसी की आवाज़ ग़ुबार है जो फ़ज़ा में फैला हुआ है। #आवाज़ #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi