एहसासों का सागर लबरेज़ था, सागर दरिया हो गया इश्क़ था बेशुमार दिल में, वजूद ख़त्म हो गया आफ़ताब थी ज़िन्दगी अपनी तीरगी का साया हो गया चाँद था चमकता आकाश में, चाँद भी ओझल हो गया तमन्नाओं की आँधी में, ज़ीस्त से दूर हो गया था जो 'सफ़र' अर्जुमंद, 'सफ़र' सिफ़र हो गया लबरेज़- भरा हुआ आफ़ताब- सूरज तीरगी- अँधेरा ज़ीस्त-life अर्जुमंद- gentelman सिफर- शून्य 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें..🙏