चल पड़ी वो, सहमी सी, रूक गई वो, सहमी सी । कब तक आस उनकी, तक रही वो, सहमी सी । घर का रास्ता दूर बहुत, बढ़ रही वो, सहमी सी। दिख गया जो अजनबी, छिप रही वो, सहमी सी। धड़कने काबू में न है अब, थम रही वो, सहमी सी । #yqhindi #yqshayari #yqpoetry #againstrape #stoprape