इस अधूरी रात में ये आँखें सूनी देख रही है राह अपने पिया की पूछ रही हैं चाँद की चांदनी से कब आएगी बारात सितारों की विरहन की अग्नि में तप कर एक दिन राख ना बन जाऊँ तेरे प्रेम में ओ मेरे सवारियां मीरा सी जोगन कहलाऊँ दर-दर भटकूं मैं हो बावरिया पिया मिलन की आस लिए गुजरे ना ये रात भी देखों हाथ मे चाँद का चिराग लिए देह छोड़ चली है अब मेरी तुझसे मिलने की एक आस ना जाने किस जन्म मे होगी पूरी मेरे पिया मिलन की प्यास •☆• जीएटीसी कोलाॅबज़-४ •☆• 《हिंदी चैलेंज ५》 ( प्रतिस्पर्धा ४ का पांचवा चैलेंज ) नियमावली: १. आप कविता, गद्य, कहानी, पत्र, बात-चीत - किसी भी रूप में लिख सकते हैं।