क्या माँगा था मैंने तुझसे मैंने तेरे प्यार के सिवा जलती रही मैं खुद बनके तेरे प्यार का दीवा || निर्जन, सूनी आँखें आज भी तुझे ही तलाशती तेरे इंतजार में,आँखों में ही अपनी हर रात काटती|| बड़ी बेबस, बड़ी लाचार -सी है जिंदगी मेरी तुझे सिर्फ ख्यालों में रख, करती बंदगी तेरी || मानती हूँ कि मैं तुझसे दूर और तू मुझसे दूर है पर यकीं है मुझे तुझे भी मुझसे मुहब्बत जरूर है || इसलिए तो मेरी साँसे तेरा ही नाम पुकारती तुझे याद कर के ही तो मैं जिंदगी गुजारती ||स्मृति #जलती हूँ बनके तेरे प्यार का #दीवा #स्मृति