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क्या माँगा था मैंने तुझसे मैंने तेरे प्यार के सिवा

क्या माँगा था मैंने तुझसे मैंने तेरे प्यार के सिवा
जलती रही मैं खुद बनके तेरे प्यार का दीवा ||

निर्जन, सूनी आँखें आज भी तुझे ही तलाशती 
तेरे इंतजार में,आँखों में ही अपनी हर रात काटती|| 

बड़ी बेबस, बड़ी लाचार -सी है जिंदगी मेरी 
तुझे सिर्फ ख्यालों में रख,  करती बंदगी तेरी  ||

मानती हूँ कि मैं तुझसे दूर और तू मुझसे दूर है 
पर यकीं है मुझे तुझे भी मुझसे मुहब्बत जरूर है ||

इसलिए तो मेरी साँसे तेरा ही नाम पुकारती         
तुझे याद कर के ही तो मैं जिंदगी गुजारती ||स्मृति #जलती हूँ बनके तेरे प्यार का #दीवा #स्मृति
क्या माँगा था मैंने तुझसे मैंने तेरे प्यार के सिवा
जलती रही मैं खुद बनके तेरे प्यार का दीवा ||

निर्जन, सूनी आँखें आज भी तुझे ही तलाशती 
तेरे इंतजार में,आँखों में ही अपनी हर रात काटती|| 

बड़ी बेबस, बड़ी लाचार -सी है जिंदगी मेरी 
तुझे सिर्फ ख्यालों में रख,  करती बंदगी तेरी  ||

मानती हूँ कि मैं तुझसे दूर और तू मुझसे दूर है 
पर यकीं है मुझे तुझे भी मुझसे मुहब्बत जरूर है ||

इसलिए तो मेरी साँसे तेरा ही नाम पुकारती         
तुझे याद कर के ही तो मैं जिंदगी गुजारती ||स्मृति #जलती हूँ बनके तेरे प्यार का #दीवा #स्मृति