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इक वक़्त से तेरा चेहरा आँखों की ख़्वाहिश है, दर्द

इक  वक़्त से तेरा  चेहरा आँखों  की ख़्वाहिश है,
दर्द से  दामन ख़ाली  नही  आपकी नवाज़िश है।
आफ़ताब के उजालों  में भी गिर जाया करता हूँ,
तेरे ख़्यालों की ख़ता है या रोशनी की साज़िश है। 🎀 Challenge-300 #collabwithकोराकाग़ज़

🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है।

🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है।

🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। 4 पंक्तियों में अपनी रचना लिखिए।
इक  वक़्त से तेरा  चेहरा आँखों  की ख़्वाहिश है,
दर्द से  दामन ख़ाली  नही  आपकी नवाज़िश है।
आफ़ताब के उजालों  में भी गिर जाया करता हूँ,
तेरे ख़्यालों की ख़ता है या रोशनी की साज़िश है। 🎀 Challenge-300 #collabwithकोराकाग़ज़

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