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White मोहिनी सूरत मित भाषी ज्यादा लिखूं लगे आभास

White मोहिनी सूरत 
मित भाषी
ज्यादा लिखूं 
लगे आभासी 
खोलूं आंखें 
नजर न आये 
बंद आंखों में 
वही समाये।
लाज के मारे
दफन सीने में 
नजाकत नहीं 
इस जीने में 
नींद हमारी 
सपने तुम्हारे 
राज बस शब्दों 
में जाये उकेरे।
भटक-भटक
अटक-अटक
जीवन जाये 
लटक-लटक
बिन तेरे 
लोग कहते 
मैं जी रहा
सटक-सटक।।

©Mohan Sardarshahari सपने तुम्हारे
White मोहिनी सूरत 
मित भाषी
ज्यादा लिखूं 
लगे आभासी 
खोलूं आंखें 
नजर न आये 
बंद आंखों में 
वही समाये।
लाज के मारे
दफन सीने में 
नजाकत नहीं 
इस जीने में 
नींद हमारी 
सपने तुम्हारे 
राज बस शब्दों 
में जाये उकेरे।
भटक-भटक
अटक-अटक
जीवन जाये 
लटक-लटक
बिन तेरे 
लोग कहते 
मैं जी रहा
सटक-सटक।।

©Mohan Sardarshahari सपने तुम्हारे