हर गुलिस्तां को चमन बना दिया मैंने। दरिया को भी समन्दर बना दिया मैंने। और बहुत गुरूर था उसे अपने होने पर। कलम को जब चलाया तो गजल बना दिया मैंने। मेरे अन्दर भी एक इंसान छुपा बैठा है। उसको जब बहार निकाला तो शायर बना दिया मैंने। bana Diya maine