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यादों का गीत याद बहुत आते हैं, गुड्डे गुड़ियों वा

यादों का गीत 
याद बहुत आते हैं, गुड्डे गुड़ियों वाले दिन ।
  दस पैसे में दो चूरन की पुड़िया वाले दिन ।
ओलम इमला गिनती फट्टी खड़ियों वाले दिन।
बात-बात पर फूट रही फुलझड़ी ओ वाले दिन ।

                   पनवाड़ी की चढ़ी उधारी घूमे मस्त निठल्ले। 
                                  कोई मेला हाट ना छूटे टका नहीं है पल्ले।             
                 कॉलर खड़े किए हाथों में घड़ियों वाले दिन ।
               ट्रांजिस्टर पर हवा महल की कड़ियों वाले दिन ।

लिख लिख पढ़ पढ़ चूमे फाड़े बिना नाम की चिट्ठी।
 सुबह दोपहरी शाम उसी की बातें खठ्ठी मीठी ।
 रूमालो में फूलों की पंखुडियो वाले दिन ।
 हड़बड़ी में बार-बार गड़बड़ियों वाले दिन ।

 सुबह शाम की  दंड बैठके दूध छाछ भर लोटा।
 दंगल की ललकार सामने घूमे कसे लंगोटा।
 मोटी मोटी रोटी घी की हडियों वाले दिन।
लइया पट्टी मूंगफली मुरमुरियो वाले दिन ।

 ये वो दिन थे जब हम लोफर आवारा कहलाये। 
इससे ज्यादा जीवन में कुछ भी कमाना पाये ।
 महंगाई में फिर भी वह मंदडियों वाले दिन ।
कोई लौटा  दे वो चूरन की पुड़िया वाले दिन।
 आल्हा गाते बाबा की खंजड़ी ओ वाले दिन।
 गइया भैसी  बैल बकरीया पडियों वाले दिन ।
 याद बहुत  आते हैं....... #geet shri pramod tiwari
यादों का गीत 
याद बहुत आते हैं, गुड्डे गुड़ियों वाले दिन ।
  दस पैसे में दो चूरन की पुड़िया वाले दिन ।
ओलम इमला गिनती फट्टी खड़ियों वाले दिन।
बात-बात पर फूट रही फुलझड़ी ओ वाले दिन ।

                   पनवाड़ी की चढ़ी उधारी घूमे मस्त निठल्ले। 
                                  कोई मेला हाट ना छूटे टका नहीं है पल्ले।             
                 कॉलर खड़े किए हाथों में घड़ियों वाले दिन ।
               ट्रांजिस्टर पर हवा महल की कड़ियों वाले दिन ।

लिख लिख पढ़ पढ़ चूमे फाड़े बिना नाम की चिट्ठी।
 सुबह दोपहरी शाम उसी की बातें खठ्ठी मीठी ।
 रूमालो में फूलों की पंखुडियो वाले दिन ।
 हड़बड़ी में बार-बार गड़बड़ियों वाले दिन ।

 सुबह शाम की  दंड बैठके दूध छाछ भर लोटा।
 दंगल की ललकार सामने घूमे कसे लंगोटा।
 मोटी मोटी रोटी घी की हडियों वाले दिन।
लइया पट्टी मूंगफली मुरमुरियो वाले दिन ।

 ये वो दिन थे जब हम लोफर आवारा कहलाये। 
इससे ज्यादा जीवन में कुछ भी कमाना पाये ।
 महंगाई में फिर भी वह मंदडियों वाले दिन ।
कोई लौटा  दे वो चूरन की पुड़िया वाले दिन।
 आल्हा गाते बाबा की खंजड़ी ओ वाले दिन।
 गइया भैसी  बैल बकरीया पडियों वाले दिन ।
 याद बहुत  आते हैं....... #geet shri pramod tiwari