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बेटे का स्कूल का पहला दिन पापा-(उत्तेजित होकर)क्या

बेटे का स्कूल का पहला दिन
पापा-(उत्तेजित होकर)क्या क्या लाऊं , बैंग, पेंसिल,रबर ,टिफिन,पानी बोतल कैसा लाऊं...
मां - (ख़ुशी भी और अजीब सी बेचैनी) जों भी लाओं सबसे अच्छा लाना मेरा बेटा पहली बार स्कूल जाऐगा। लेकिन कैसे करेगा ,कितना रोयेगा ।
पापा - (अपने डर और चिंता को छुपाते हुएं) तु चिंता मत कर बहुत अच्छे स्कूल में भेज रहा हूं इसका पूरा ध्यान रखेंगे इसके शिक्षक ।
स्कूल जाते समय बेटा रोने लगा 
तब पापा उसे टोफी ,चिप्स ..आदि देते हुए । रो मत बेटा मैं तेरे साथ हूं और अपने दिल मजबूत करके , रोते हुए बेटे को स्कूल भेजा और बाहर से देखते हुए कहां बेटा तु पढ़ेगा तभी तों हमारा नाम रोशन करेगा और हमारे बुढ़ापे का सहारा बनेगा।
🏘️😓😓😓😓😓😓😓😓😓
मम्मी+पापा का वृद्धाश्रम में पहला दिन
बेटा - पापा आपकी बहू आपके साथ नहीं रह सकती उसे बहुत काम रहते हैं वह बच्चों को सम्भाले या आप लोगों को ।वो दिन भर काम कर करके थक जाती है दिनभर आप लोगों के नखरे उठाएं या फ़िर घर के काम । दिन भर में पांच बार चाय,पानी,खाना और आप लोगों के कपड़े धोने के काम फिर रात भर आपकी नाक बजाने का बोझ  बहुत परेशान हों जाती हैं और आप लोग उसका हाथ भी नहीं बंटाते इसलिए हमने फ़ैसला लिया है कि आप दोनों को अपने शहर के वृद्धाश्रम रखने का किया है वहां पर आप लोगों की उम्र के लोग रहते हैं उनके साथ समय भी गुज़र जाएगा।
पापा-बेटे का चेहरा ताक़ते रह गया और वो दिन याद किया जब बेटे को पहले दिन स्कूल छोड़ने आएं । मुंह से जैसे आवाज़ ही गायब हो गई हों वह आंखों से 😭आंसुओं की धार बहने लगीं। ख़ुद को सम्हालते हुए सही बेटा जों तुम दोनों सोचा होगा हमारे भलें के लिए ही सोचा होगा। बस हमारी तों एक ही इच्छा है तुम हमेशा खुश रहों। और अपने ही त्याग और समर्पण से बने घर से ख़ुद कों वृद्धाश्रम पहुंचने का नजारा चुपचाप देखता रहा। अगले ही दिन बहू ने एक बैग में हम दोनों का सामान रख दिया और बेटा व्हील चेयर सहित ही हम दोनों को वृद्धाश्रम छोड़ आया और एक रूखा सा मिलने आने की बात कह गया। हम बेटे के मुंह की तरफ़ देखते रह गए।एक सवाल ख़ुद खाता है क्या कमी रह गई हमारी परवरिश में जों आज हम इस हालात में हैं...??😥

©usFAUJI स्कूल के पहले दिन से वृद्धाश्रम के पहले दिन तक

#ImageStories 
#usfauji 
#nojotophoto 
#School #oldagehome #Son #father #story #Reality 
सत्य Dinesh Kumar Rajeev Bhardwaj लेखक  Miss poojanshi Adhury Hayat Pinki Singh
बेटे का स्कूल का पहला दिन
पापा-(उत्तेजित होकर)क्या क्या लाऊं , बैंग, पेंसिल,रबर ,टिफिन,पानी बोतल कैसा लाऊं...
मां - (ख़ुशी भी और अजीब सी बेचैनी) जों भी लाओं सबसे अच्छा लाना मेरा बेटा पहली बार स्कूल जाऐगा। लेकिन कैसे करेगा ,कितना रोयेगा ।
पापा - (अपने डर और चिंता को छुपाते हुएं) तु चिंता मत कर बहुत अच्छे स्कूल में भेज रहा हूं इसका पूरा ध्यान रखेंगे इसके शिक्षक ।
स्कूल जाते समय बेटा रोने लगा 
तब पापा उसे टोफी ,चिप्स ..आदि देते हुए । रो मत बेटा मैं तेरे साथ हूं और अपने दिल मजबूत करके , रोते हुए बेटे को स्कूल भेजा और बाहर से देखते हुए कहां बेटा तु पढ़ेगा तभी तों हमारा नाम रोशन करेगा और हमारे बुढ़ापे का सहारा बनेगा।
🏘️😓😓😓😓😓😓😓😓😓
मम्मी+पापा का वृद्धाश्रम में पहला दिन
बेटा - पापा आपकी बहू आपके साथ नहीं रह सकती उसे बहुत काम रहते हैं वह बच्चों को सम्भाले या आप लोगों को ।वो दिन भर काम कर करके थक जाती है दिनभर आप लोगों के नखरे उठाएं या फ़िर घर के काम । दिन भर में पांच बार चाय,पानी,खाना और आप लोगों के कपड़े धोने के काम फिर रात भर आपकी नाक बजाने का बोझ  बहुत परेशान हों जाती हैं और आप लोग उसका हाथ भी नहीं बंटाते इसलिए हमने फ़ैसला लिया है कि आप दोनों को अपने शहर के वृद्धाश्रम रखने का किया है वहां पर आप लोगों की उम्र के लोग रहते हैं उनके साथ समय भी गुज़र जाएगा।
पापा-बेटे का चेहरा ताक़ते रह गया और वो दिन याद किया जब बेटे को पहले दिन स्कूल छोड़ने आएं । मुंह से जैसे आवाज़ ही गायब हो गई हों वह आंखों से 😭आंसुओं की धार बहने लगीं। ख़ुद को सम्हालते हुए सही बेटा जों तुम दोनों सोचा होगा हमारे भलें के लिए ही सोचा होगा। बस हमारी तों एक ही इच्छा है तुम हमेशा खुश रहों। और अपने ही त्याग और समर्पण से बने घर से ख़ुद कों वृद्धाश्रम पहुंचने का नजारा चुपचाप देखता रहा। अगले ही दिन बहू ने एक बैग में हम दोनों का सामान रख दिया और बेटा व्हील चेयर सहित ही हम दोनों को वृद्धाश्रम छोड़ आया और एक रूखा सा मिलने आने की बात कह गया। हम बेटे के मुंह की तरफ़ देखते रह गए।एक सवाल ख़ुद खाता है क्या कमी रह गई हमारी परवरिश में जों आज हम इस हालात में हैं...??😥

©usFAUJI स्कूल के पहले दिन से वृद्धाश्रम के पहले दिन तक

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सत्य Dinesh Kumar Rajeev Bhardwaj लेखक  Miss poojanshi Adhury Hayat Pinki Singh
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