*ये कैसा द्वंद्व है?* ============= दिल और दिमाग के बीच, चल रहा ये कैसा द्वंद्व है? मैं इंसान हूँ या मशीन, कैसा ये यक्ष-प्रश्न है? मानव-हृदय मिला है जब, तो भावनायें क्यों न हों? विचारों की है शक्ति जब, तो अभिव्यक्ति क्यों न हो? दिल में हैं जो तरंगें, तो लहरों पर पाबंदी क्यों? दिमाग की आवाज़ सुन, तार्किकता की रज़ामंदी क्यों? **अनुशीर्षक में पूरी कविता पढ़ें** ©Muskan Satyam #dilemma *ये कैसा द्वंद्व है?* ============= दिल और दिमाग के बीच, चल रहा ये कैसा द्वंद्व है? मैं इंसान हूँ या मशीन, कैसा ये यक्ष-प्रश्न है?