आग का जलाना अभी बाकी है, ज़िंदगी का मिट जाना अभी बाकी है, ये कसमें मत खाओ की तुम हमेशा वफ़ा करोगी, तुम्हारा बेवफ़ा होना अभी बाकी है, नज़रे मत फेरों हिकारत से बागों में तुम, इन कलियों का फूल होना अभी बाकी है, मत मनाओ इस झूठे आज़ादी का जश्न, कई गमों से आज़ाद होना अभी बाकी है, अपने खुशियों के कलीद को मत खोना, अरमानों का दरवाज़ा खोलना अभी बाकी है, वो तोड़ गयी है दिल तुम्हारा तो क्यों रोते हो तुम, पूरे जहां से दिल लगाना अभी बाकी है। -सुमीत। (कलीद-key) #Baakihai #gazal #Life #shayaridilse #Shayari #ReachingTop