रूखसत हाेते हुये घर से प्रिये कहा था तुमने लाैट के आउंगा मैं... कभी छाेड़ना ना धैर्य का दामन प्रिये तेरी उम्मीदाें में मुस्कुराउंगा मैं हाैले से चुमा था तुमने मेरी काेख काे ,जिसमें तेरी निशानी थी परवान चढ़ती हुयी तेरे-मेरे ईश्क की कहानी थी बाेले थे तुम अम्मा -बाबा का ध्यान रखना ,चढ़ते फागुन आउंगा बिन ब्याही बहना का काेई सलाेना दुल्हा खाेज लाउंगा पर तुम न आये,तेरा संदेशा न आया,तिंरगे में लिपटा तेरा कफन आया आज भी इंतजार है तेरा काेई ताे संदेशा मिले ताे कमबख्त अब मेरे प्राण भी निकले जब एक सैनिक शहीद हाेता है तब सिर्फ वहीं नहीं उलके पूरे परिवार की खुशियां भी शहीद हाे जाती है ,एक ऐसा घाव मिलता है जाे कभी भरता नही अपने प्रिय से ऐसी दूरी जाे कभी पटता नहीं....... ताे आज एक सलाम 🙏🙏उन शहीदाे के अपनाे के नाम🙏🙏🙏🙏🙏🙏Challenge 14 - 'जब प्राण निकले' 8 पंक्तियों की रचना कर प्रतियोगिता में भाग लें। विषय के बारे में :- पुलवामा पर शहीद जवानों के लिए एक रचना करिए। जिसमें 'जब प्राण निकले' का प्रयोग हो। अपनी लेखनी के माध्यम से आप सभी रचनाकार यह प्रयास करिए कि शहीद की व्यथा को बड़ी ही सटीकता से बता पाए लोगों के समक्ष रख पाए। #yqbaba #yqdidi #tmkosh ♦️#collab करने के बाद विषय के comment में Done लिखें।