अब भोर में उठने की वो आदत चली गयी बहुत पुरानी वृद्ध मोहब्बत चली गयी आशीष के अपशब्द शब्द सोने चल दिये श्वशुर संग वधु की अदावत चली गयी नवमी का वो त्यौहार गुड़ की बखीर थे संग डांट और स्वाद की दावत चली गयी बच बच के रात हसना और फुस फुसाहते कभी कभी डराती वो राहत चली गयी जब राम नाम ले के वो साकेत चल पड़े तब आज से वो कल की बगावत चली गयी #नाना🙏🙏🙏🙏