Nojoto: Largest Storytelling Platform

अब भोर में उठने की वो आदत चली गयी बहुत पुरानी वृद

अब भोर में उठने की वो आदत चली गयी 
बहुत पुरानी वृद्ध मोहब्बत चली गयी 

आशीष के अपशब्द शब्द सोने चल दिये 
श्वशुर संग वधु की अदावत चली गयी 

नवमी का वो त्यौहार गुड़ की बखीर थे 
संग डांट और स्वाद की दावत चली गयी 

बच बच के रात हसना और फुस फुसाहते 
कभी कभी डराती वो राहत चली गयी  

जब राम नाम ले के वो साकेत चल पड़े 
तब आज से वो कल की बगावत चली गयी #नाना🙏🙏🙏🙏
अब भोर में उठने की वो आदत चली गयी 
बहुत पुरानी वृद्ध मोहब्बत चली गयी 

आशीष के अपशब्द शब्द सोने चल दिये 
श्वशुर संग वधु की अदावत चली गयी 

नवमी का वो त्यौहार गुड़ की बखीर थे 
संग डांट और स्वाद की दावत चली गयी 

बच बच के रात हसना और फुस फुसाहते 
कभी कभी डराती वो राहत चली गयी  

जब राम नाम ले के वो साकेत चल पड़े 
तब आज से वो कल की बगावत चली गयी #नाना🙏🙏🙏🙏