हुआ कुछ ऐसा की हर चीज़ इतेफाक सी मिली जिंदगी में कुछ समझ में आई कुछ निकली बेवजह जिंदगी में बेगैरत की तरह पिंगल चुके हैं अब कुछ सवाल उठाए कुछ यूंही निकल गए जिंदगी में एक इतेफाक ही था जो खुशियां आई थी बस अब जनाजे का हुक्म हो जाए जिंदगी में सपने और अपने एक हुआ करते थे कभी इतेफाक से अब वही राख का ढेर सा हैं जिन्दगी में ये इत्तेफाक ही हैं जो आज यहां हैं वरना कब के बह गए थे उन आंसुओं के समुंद्र में इत्तेफाक... ©Drx. Mahesh Ruhil #इतेफाक