कोई ग़ज़ल सुना कर क्या करना , यूँ बात बढ़ा कर क्या करना , तुम मेरे थे ...तुम मेरे हो , दुनिया को बता कर क्या करना । तुम साथ निभाओ चाहत से , कोई रस्म निभा कर क्या करना , तुम खफ़ा भी अच्छे लगते हो , फिर तुमको मना कर क्या करना ! . ©Sarfaraj Idrishi (💪 idrishi boy 💪) #HumTum G. P. Gupta, Dir. Trust mathematics tutorial