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*मेरी शायरी की छाँव में आकर बैठ जाते हैं.. वो लोग,

*मेरी शायरी की छाँव में आकर बैठ जाते हैं..
वो लोग, जो मोहब्बत की धूप में जले होते हैं. *मेरी शायरी की छाँव में आकर बैठ जाते हैं..
वो लोग, जो मोहब्बत की धूप में जले होते हैं..
*मेरी शायरी की छाँव में आकर बैठ जाते हैं..
वो लोग, जो मोहब्बत की धूप में जले होते हैं. *मेरी शायरी की छाँव में आकर बैठ जाते हैं..
वो लोग, जो मोहब्बत की धूप में जले होते हैं..
saifraza2307

Saif Raza

New Creator

*मेरी शायरी की छाँव में आकर बैठ जाते हैं.. वो लोग, जो मोहब्बत की धूप में जले होते हैं..