कौन समझाए उन्हें इतनी जलन ठीक नहीं, जो ये कहते हैं मेरा चाल-चलन ठीक नहीं। जलो वहा, जहाँ उजाले की जरूरत हो, उजालो में चिरागों की तपन ठीक नहीं। झूठ को सच में बदलना भी हुनर है लेकिन, अपने ऐबों को छुपाने का ये फन ठीक नहीं। उनकी नीयत में ख़लल है तो घर से ना निकलें, तेज़ बारिश में ये मिट्टी का बदन ठीक नहीं। शौक़ से छोड़ के जाएँ ये चमन वो पंछी, जिनको लगता है ये अपना वतन ठीक नहीं। हर गली चुप सी रहे, और रहें सन्नाटे, मेरे इस मुल्क में ऐसा भी अमन ठीक नहीं। जो लिबासों को बदलने का शौक़ रखते थे, आखरी वक़्त ना कह पाए क़फ़न ठीक नहीं।। -अज्ञात ©G. s. Kushwah #Nojoto #nojohindi #nojoto2021 #Nojoto22 #Tha #writer #booklover