ये सावन, ये बारिश ये नज़ारे हसीन, बिन कुर्बत, ये खलवत के फ़ुहारे हसीन। अब गैर की बाहों मे सुकून आता है, मेरी मिलकियत थी वो बाहों के घेरे हसीन। उनकी नजरों मे कुछ रड़कता है अब, जो हर पल करते नजरों के इशारे हसीन। अब उनके पास पल भर का वक़्त नहीं, जिन्होने संग लम्हे कई गुज़ारे हसीन। अब तो हिज्र मे शबे गुज़रती है शिल्पी, गहरी रातों मे ओढ़ते थे हम तारें हसीन। #modashilpi प्यार की सीमा न कोई यह जैसे आकाश अनंत। #प्यारकीसीमा #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi