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एक ख़्वाब सी, एक ख़्वाब देखती आँखे, रात के अंधेरों

एक ख़्वाब सी, एक ख़्वाब देखती आँखे, 
रात के अंधेरों में खो गई जैसे अकेली ऑंखें। 

स्वपन सी धुंधली, स्वपन में खोयी हुयी,  
झुंझलाहट मन की, क्या निहारती आँखे..!

शाम सी बोझिल, किरणों में विलीन सी, 
क्या ढूँढती, क्या देखती, क्या समझती ऑंखें..!

शामे ढूँढती,  मन ढूँढती, स्नेह समेटती ये ऑंखें, 
एक ख़्वाब सी,  एक ख़्वाब देखती आँखे..!!

 #ऑंखें #एकख़्वाब #ख़्वाबदेखतीऑंखें 
#मेरीकवितामेरादर्द #suchitapandey
एक ख़्वाब सी, ख़्वाब में, एक ख़्वाब देखती आँखे, 
रात के अंधेरों में खो गई जैसे अकेली ऑंखें। 

स्वपन सी धुंधली, स्वपन में खोयी हुयी,  
झुंझलाहट मन की, क्या निहारती आँखे..!
एक ख़्वाब सी, एक ख़्वाब देखती आँखे, 
रात के अंधेरों में खो गई जैसे अकेली ऑंखें। 

स्वपन सी धुंधली, स्वपन में खोयी हुयी,  
झुंझलाहट मन की, क्या निहारती आँखे..!

शाम सी बोझिल, किरणों में विलीन सी, 
क्या ढूँढती, क्या देखती, क्या समझती ऑंखें..!

शामे ढूँढती,  मन ढूँढती, स्नेह समेटती ये ऑंखें, 
एक ख़्वाब सी,  एक ख़्वाब देखती आँखे..!!

 #ऑंखें #एकख़्वाब #ख़्वाबदेखतीऑंखें 
#मेरीकवितामेरादर्द #suchitapandey
एक ख़्वाब सी, ख़्वाब में, एक ख़्वाब देखती आँखे, 
रात के अंधेरों में खो गई जैसे अकेली ऑंखें। 

स्वपन सी धुंधली, स्वपन में खोयी हुयी,  
झुंझलाहट मन की, क्या निहारती आँखे..!

#ऑंखें #एकख़्वाब #ख़्वाबदेखतीऑंखें #मेरीकवितामेरादर्द #suchitapandey एक ख़्वाब सी, ख़्वाब में, एक ख़्वाब देखती आँखे, रात के अंधेरों में खो गई जैसे अकेली ऑंखें। स्वपन सी धुंधली, स्वपन में खोयी हुयी, झुंझलाहट मन की, क्या निहारती आँखे..! #सुचितापाण्डेय