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अभी तो इंसान सिख ही रहा है, जाने कितने सपने देख रह

अभी तो इंसान सिख ही रहा है,
जाने कितने सपने देख रहा है।
कहीं ऐसा न हो कि
सिखने में देर हो जाए
और
कहानी शुरू होने से पहले ही खत्म हो जाए
जाने किन-किन हालतो से भाग रहे हैं हम
चिंता न करो कि अभी भी जाग रहे हैं हम।।

©ANURAG DUBEY
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